...

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maine dekha tha!
मैंने देखा था तुम्हें आज, ⁣
उसके साथ, ⁣
चेहरे पर हंसी और आँखों में चमक लिए, ⁣
डाले हुए थे , ⁣
हाथों में उसके, ⁣
अपने हाथ। ⁣
हाँ! मैंने देखा था तुम्हें, ⁣
आज, उसके साथ। ⁣

और देखकर तुम्हें, होंठों पर मुस्कान लिए, ⁣
बढ़ने लगे थे मेरे कदम, ⁣
जाने क्यूँ, ? तुम्हारे पास। ⁣

बेशक दिल को अंदाजा था, ⁣
कि तुम, देखते ही शायद , मुहॅ फेर लोगे, ⁣
और जायज ही तो था, ⁣
मेरा ये समझना, ⁣
अब रिश्ता है ही क्या, दरमियाँ हमारे, ⁣
हाँ! अब मुश्किल सा होता है, तुमसे बातें करना, ⁣
और अगर तुमने बात कर भी ली, ⁣
तो अब कहाँ बातें वो गहरी होंगी, ⁣
एक hi और hello के जरिये, ⁣
casual conversation तुम छेड़ ही लोगे, ⁣
हाँ! ⁣
मुझे मालूम है, देखकर मुझे तुम नजरें फेर ही लोगे। ⁣


और इन सब सवालों की उलझन में, ⁣
कदम अचानक रुक से गए । ⁣
दिल और दिमाग की इस लड़ाई में, ⁣
दोनों ही, ⁣
आज ज़रा थक से गए। ⁣

बस यही सोच रास्ता मैंने मोड़ लिया, ⁣
जाना तो था, तुम्हारी ही ओर, ⁣
मगर, ⁣
तुम्हें इतना खुश देख कर, ⁣
सफ़र अपना अधूरा ही छोड़ दिया। ⁣

वो हंसी तुम्हारी, होंठों की, अब भी याद आती है, ⁣
इंसान तो चले जाते हैं, ⁣
मगर , ⁣
यादें यहीं कहीं बाकी रह जाती हैं, ⁣
बाकी रह जाती हैं। ⁣



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