मुझे मंजुर है
आसमान की ऊचाईयों को छूना,
मुझे मंजुर है।
पाताल में डूबकर दिखाना,
मुझे मंजुर है।
पेड़ की तरह हरदम खड़े रहना,
मुझे मंजुर है।
पतियों जैसे सूखकर गिरना,
मुझे मंजुर है।
कोयल सी कूक सा गाना,
मुझे मंजुर है।
प्रकृति के साथ बदलना,
मुझे मंजुर है।
हवा के जरिए बहना,
मुझे मंजुर है।
मोसम का बदलाव सहना,
मुझे मंजुर है।
"संकेत "कलम से ही कहना,
मुझे मंजुर है।
डाँ. माला चुडासमा "संकेत"
गीर सोमनाथ
© All Rights Reserved
मुझे मंजुर है।
पाताल में डूबकर दिखाना,
मुझे मंजुर है।
पेड़ की तरह हरदम खड़े रहना,
मुझे मंजुर है।
पतियों जैसे सूखकर गिरना,
मुझे मंजुर है।
कोयल सी कूक सा गाना,
मुझे मंजुर है।
प्रकृति के साथ बदलना,
मुझे मंजुर है।
हवा के जरिए बहना,
मुझे मंजुर है।
मोसम का बदलाव सहना,
मुझे मंजुर है।
"संकेत "कलम से ही कहना,
मुझे मंजुर है।
डाँ. माला चुडासमा "संकेत"
गीर सोमनाथ
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