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गुजरा जमाना
वो खिड़की से तेरा मुझको बुलाना।
याद आता है अब गुजरा जमाना।।
अकेले में कहीं गुमसुम थे हमतुम।
मिल के सीखा था हमने मुस्कराना।।
मुहब्बत में कहां हमको खबर थी।
जमाने की तो हमपर ही नजर थी।।
जहाँ थे हम वहीं पर था जमाना।
याद आता है अब गुजरा जमाना।।
न तुम हमउम्र थे न कोई हम था।
मुहब्बत में कहां तब कोई गम था।।
आज दिल में है बस गम का ठिकाना।
याद आता है अब गुजरा जमाना।।
Samar
© All Rights Reserved
याद आता है अब गुजरा जमाना।।
अकेले में कहीं गुमसुम थे हमतुम।
मिल के सीखा था हमने मुस्कराना।।
मुहब्बत में कहां हमको खबर थी।
जमाने की तो हमपर ही नजर थी।।
जहाँ थे हम वहीं पर था जमाना।
याद आता है अब गुजरा जमाना।।
न तुम हमउम्र थे न कोई हम था।
मुहब्बत में कहां तब कोई गम था।।
आज दिल में है बस गम का ठिकाना।
याद आता है अब गुजरा जमाना।।
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