...

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उम्र
ये बढ़ती उम्र बड़ी चंचल होती है
लगता है दिन में कई बार बदलती है
सुबह ली अंगड़ाई तो कंधा चटका
ऐसा लगा वक़्त ने पचास पे ला पटका
जूते कसे और सैर कर डाली
यूँ लगा जैसे उम्र चालीस की होने वाली
होके तैयार कुछ मेकअप कर डाला
दर्पण बोला तू पैंतीस की लगे बाला
रसोई में जाकर कचौड़ी तल डाली
यूँ लगा जैसे उम्र हो तीस की मतवाली
मिले दोस्त पुराने,दोहराए किस्से पुराने
अरे मैं तो बीस जैसी लगी लहराने
घर लौटी शाम को जब थक कर चूर
यूँ लगा कि उम्र पच्चास भी कहाँ हैं दूर
ये बदलती उम्र,नयी तकनीकऔर पुराने यार
बस यही सिखाते हैं हर बार
मौका मिले ना बारबार
ज़िंदगी जी भर जी लो यार
© sapna