किस्सा सड़क का
आधा सड़क सरकार का,
आधा सड़क निर्माणकार का;
आधा सड़क बेघर यार का,
आधार यही है व्यापार का,
कोई बेच रहा है खिलौने,कहीं अड्डा शिल्पकार का,
सड़को पे शुरू होता किस्सा प्यार का,
बेचता दिख रहा कोई बच्चा गुलदस्ता उपहार का.
कहीं सड़क बन जाती हैं मंच तकरार का..
Related Stories