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सच्ची प्रीत
प्रीत की ऐसी रीत रची
हुई जग से परायी
मन लगा वैरागी संग
शानो-शौकत रास ना आयी

किया कठोर तप
रोक-टोक,तानो को झेल
सजोती रही अपने आशियाने को
तब जाके मिली वो शम्भुनाथ से
जन्मों का साथ अमर कर
सती हुई भोलेनाथ की

वो सच्ची इश्क की दस्ता थी
ना राधा सी, ना सीता सी
जुदा हुई अपने प्राणनाथ से
किया मुक़्क़मल अपने रिश्ते को
हो गयी सदा की महाकाल की काली

अर्धनारीश्वर बन,रचा इतिहास
दिया सती को बराबर का सम्मान
महाकाल की महिमा सबसे निराली
तभी तो महलो की रानी
बनी वैरागी की दीवानी
सच्ची प्रीत की सदियों पुरानी
महादेव और सती की प्रेम कहानी


कल्पना@कल्पू