...

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दरख़्वास्तें
भेजे कितने नहीं दरख़्वास्तें, मेने उस खुदा को,
उस खुदा को, उस ख़ुदा को,
जो बेठा हे मेरी पीड़ा से अवगात, अंमबर के उस पार।

जब दर्द  कि सीमाएँ, सब हो गई थी पार,
जब पूरा जगत दे रहा था केवल दर्द का उपाहर,
तब मेरा यह ह्रदय शीशे जेसा टूट गया,
अपने ही आप से रूट गया,
अनगिनत अंखो में भिखर गया ।
जब भीखरा पड़ा था मेरा उम्मीद, जब भिखरा पड़ा ता मेरा प्रित
तब भेजा मेने दरख़्वास्तें...........,
उस खुदा को, उस खुदा को ।


है था पता मुझे की,
ज़िन्दगी के हर सफ़र में,
शायद, साथ देने न हो गा कोइ ।
दुख और दर्द को बाटने के लिए,...