...

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प्रेम का मिलन
तुम्हारे साथ गुजरी वो एक रात याद है मुझे,
जहां मेरे होंठों ने तुम्हारे होठों को चूमा था,
जहां मेरे होठों ने तुम्हारे बदन का हर एक कोना छुआ था,
जहां मेरे हर छुअन से तुम मदहोश हुई थी,
जहां मेरे हर चुम्बन ने तुम्हारी रूह छुई थी ।
तुम्हारे कुंवारे बदन पर दिया वो निशान याद है मुझे,
जहां तुम्हारे बदन की गर्माहट में मैं पिघला था,
जहां मैं तुम्हारे प्रेम की गहराई में फिसला था,
जहां तुम्हारी सिसकियां प्रेम रस के आनंद में अनुरक्त थी,
जहां एक स्त्री अपने पुरुष से मिलन में दुनिया से विरक्त थी।
तुम्हारे साथ हुई वो हर नटखट बात याद है मुझे,
तुम्हारे साथ गुजरी वो एक रात याद है मुझे।
© अभिनव