...

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शिकायत खुदा से
इतना कमजोर सा दिल क्यों बना दिया तूने ऐ ख़ुदा,
इधर बात पूरी होती नही की उधर वो टूट जाता है,
छोटी छोटी बातें होती हैं और बातें करते करते अक्सर,
आंखें नम हो जाती हैं और कमबख्त दिल भींग जाता है,
चाहती हूँ बहुत की औरों की तरह मैं भी कठोर बनूँ,
दुःख मन मे कितना भी रहे, किसी से कुछ ना कहूँ,
पर नामुराद चेहरा आख़िरकार सच बता देता है,
छुपाने की लाख कोशिशें करती हूँ हर बार,
पर जुबां लड़खड़ा जाती है और बदन काँप जाता है।
© Vinisha Dang