...

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तुम बिन
तुम बिन दिल लगता नहीं
भरी मेहफील में भी मैं
खुद को अकेला पाता हूँ,
ना जाने किस गली चला जाता हूँ,
शोर तो बहुत है मगर मैं
खामोश ही रह जाता हूँ,
तेरी तस्वीर लिए इन
आँखों में ना जाने इस भीड़ में
कहाँ खो जाता हूँ,
रूह से मिलता हूँ तेरी
जब तू करीब होती है,
सारी दुआएँ पूरी होती है,
कोई तो बात है तुझ में
तुझसे ही मेरी दुनिया पूरी होती है, बात तेरी मेरी मुलाकात की जब होती है
हज़ारों मीटर की दूरीयां भी कम लगती है,
तेरे बिन यह दुनिया बेजान सी लगती है
यह गलियाँ सुनसान सी लगती है,
मैं ठहरा सा किसी सफर का मुसाफिर
लगता हूँ तेरे इनतेज़ार में कहीं खो जाता हूँ |