अनकहा प्रेम।
ना मैं राधा हुई, न मीरा सा नाम मेरा
प्रीति मेरी मुझतक ही, गुमनाम है नाम मेरा ।
बहोरी राह मैंने भी, अश्रुधार रही पानी ही
है मग्न गोकुल में वो, वहां क्या काम मेरा ।
प्रेम रोएगा, प्राण जाएंगे
किंतु क्यों कोई जानेगा ग्राम मेरा ?
कही है नहीं कभी, ना जानी उसने कभी
प्रीति मेरी मुझतक ही, गुमनाम है नाम मेरा ।
#Hindi
#Love&love
#tofn
© TofN
प्रीति मेरी मुझतक ही, गुमनाम है नाम मेरा ।
बहोरी राह मैंने भी, अश्रुधार रही पानी ही
है मग्न गोकुल में वो, वहां क्या काम मेरा ।
प्रेम रोएगा, प्राण जाएंगे
किंतु क्यों कोई जानेगा ग्राम मेरा ?
कही है नहीं कभी, ना जानी उसने कभी
प्रीति मेरी मुझतक ही, गुमनाम है नाम मेरा ।
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