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स्त्री ....
बंधिनी हूं मैं बंधी हूं रिश्तों में कभी हूं खुला आसमान तो कभी लढ़ती परिंदो से कभी बोल भी दू मन की बात तो हसेंगे सब सच सामने उनकाआयेगा तो रोऐंगे सब...