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गणतंत्र दिवस 2021
मां के बेटे कहलाते हो, हलधर मेरे किसान रे
क्या हुआ तुझे जो भूला, मातृभूमि का निशान रे
क्या हुआ तुझे गलती कर बैठा, अपना शीश झुकाया रे
तीन रंग में एक रंग तेरा, क्यों न्यारा तूने लहराया रे
हक़ है तेरा लड़ सकता है, सियासत के हथियारों से
अरे वो भी तेरे बेटे हैं, क्यों लड़ा था उन पहरेदरों से
इतने दिनों से शांत लड़ा, निश्छल तेरा मन लगता था
सच्चाई पर अड़ा खड़ा था, बढ़ता सही कदम लगता था
अब अवसर जो दिया है तुमने, देखो क्या परिणाम होगा?
आंदोलन तेरा बढ़ता जाएगा, या ये यही विराम होगा?
© SK
#poembysk #writco
क्या हुआ तुझे जो भूला, मातृभूमि का निशान रे
क्या हुआ तुझे गलती कर बैठा, अपना शीश झुकाया रे
तीन रंग में एक रंग तेरा, क्यों न्यारा तूने लहराया रे
हक़ है तेरा लड़ सकता है, सियासत के हथियारों से
अरे वो भी तेरे बेटे हैं, क्यों लड़ा था उन पहरेदरों से
इतने दिनों से शांत लड़ा, निश्छल तेरा मन लगता था
सच्चाई पर अड़ा खड़ा था, बढ़ता सही कदम लगता था
अब अवसर जो दिया है तुमने, देखो क्या परिणाम होगा?
आंदोलन तेरा बढ़ता जाएगा, या ये यही विराम होगा?
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