...

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जाने दो
आखिर क्या कसूर है उस नन्हें से परिंदे का,
किस गलती की सजा दे रहे हो उसे तुम जो पिंजरे में कैद करके रखा है उसे तुमने।

छोड़ दो उसे ,उड़ जाने दो नील गगन में
मत कैद करो इस तरह लौह - पिंजरे में उस नादान , मासूम , नन्हें परिंदे को तुम।

जिस तरह दिन - रात कैद करके रखे हो पिंजरे में उस नन्हें, मासूम परिंदे को तुम,
उसी तरह से खुद भी कभी किसी के कैद में दिन- रात रह पाओगे तुम भी क्या ??

वो बहता जल पीने के आदी है और तुम उसे कटोरी गिलास में पानी पिला रहे हो,
कभी खुद भी किसी के कैद में रहकर तुम अपने कंठ से पानी नीचे उतार पाओगे क्या??

जिस तरह से तुम पिंजरे में कैद करके उसे स्वछंद रूप से...