...

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मेरी मां
जितना झुकता हूं तेरी चरणों में।
उठ जाता हूं खुद की नजरो में।।
रेंगते रेंगते न जाने कब खड़ा हो गया।
तेरी ममता में न जाने कब बड़ा हो गया।।
तेरी ममता का कोई मोल नहीं ।
तेरे जैसा कोई और नहीं।।
तू ही मंजिल मेरी ।
तू ही संसार मेरी।।
बाहरी दुनिया जब करती मुझपर वार।
तू भी तुम मुझको करती लार- प्यार।।
जब भी चोट लगती मुझको।
हमसे ज्यादा दर्द होता तुझको।।
पापा जब डांटते मुझको।
तब भी तुम पुचकारती मुझको।।
हमारे हर दुख खुद सह लेती।
मेरे बदले खुद रो लेती।।
अपने भी हिस्से को हंसकर खिलाया तू।
खुद रात भर जागकर मुझको सुलाई तू।।
रिश्ते का पाठ पढ़ाया।
मेरा है मान बढ़ाया।।
कैसे करू तुच्छ मुंह से गुणगान।
तेरे आगे तो छोटा है भगवान।।
हर दुख को हंसकर भगाया।
मेरी दुनिया तुझमें समाया।।