एक बहुआयामी गाथा भाग3
ना देखी जाति ना देखी योनि ना देखा रंग ना देखी अमीरी ना गरीबी,
देखा रूप देखा जिस्म देखा लोभ हवस का जिसने ना पूछा धर्म ना कर्म ना कि उम्र की परवाह बस बटा सबकुछ पर मुझे क्यों नहीं बांटा
क्योंकि उन्होंने मुझे हैवानियत की भूख की वेषभूषा का लिवाज ना पूछी हैसियत ना वसीयत ना खैरियत बस लूट...
देखा रूप देखा जिस्म देखा लोभ हवस का जिसने ना पूछा धर्म ना कर्म ना कि उम्र की परवाह बस बटा सबकुछ पर मुझे क्यों नहीं बांटा
क्योंकि उन्होंने मुझे हैवानियत की भूख की वेषभूषा का लिवाज ना पूछी हैसियत ना वसीयत ना खैरियत बस लूट...