...

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समाज और मोहब्बत
मोहब्बत करके वो बदनाम हो गए
फिर कहीं गुमनाम हो गए
समाज ने भर दी दो दिलो मे नफरतें ऐसी
कि वो दोनों जीते-जी शमशान हो गए।

सुन के दुनिया के ताने
भूल गए वो खुद के फसाने
लबों पे हंसी जरूर है
पर आज भी दिल में है कई दर्द पुराने

अरे! वो भूखा है वो रो रहा है
तुम माँ-बाप हो तुमसे ये कैसे सहन हो रहा है
समाज की बंदिशे अब तोड़ दो
तुम्हारी संतान बिखर रही है उसे जोड़ लो

ये जात-पात ये ऊँच-नीच
ये कैसा रेला है
खून सभी का लाल है
किसी का न मैला है।

अपनी शान के लिए अपने
बच्चो की बलि मत चढ़ा
भूल जा खुद समाज की कमजोरीयाँ
या उन्हें इतना मत पढ़ा।

पांडेजी