...

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क्या सोचते रहते हो ?
क्या सोचते रहते हो
ट्रैफिक सिग्नल रुक जाने पर गाड़ी पर बैठे,
टफ्री पर चाय की चुस्कियां लेते लेते,
समुंदर के किनारे रेत में बैठे-बैठे,

क्या सोचते रहते हो किस दुनिया में खोए रहते हो,
बिना रंजिश की कौन सी जंग खुद के अंदर लड़ते रहते हो,
बिना सर उठाए सूनी सड़कों पर अकेले बस चलते रहते हो,

कुछ तो कहो किस बात की खामोशी मनाए जा रहे हो,
किस दर्द का जाम है जो हर रोज के मर्तबा पिए ही जा रहे हो,
क्या सोच ते रहते हो कींन विचारों की गहराई में गोते लगा ते रहते हो,
कहा खोए रहते हो।

© Poshiv
@Nainika