...

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कहने तो दोगे।
जो भी तुमने कहा,
उसका डर नही है।
कि जाऊं कहा
अब ये तो बता दो,
तुम्हारे सिवा मेरा
और कोई दर नहीं है।
ऐसा नहीं की
मैं डरा हुआ हूं।
मैं टूट गया हूं,
बिखरा हुआ हूं।
आऊंगा फिर से
खुद को समेट कर।
तेरे दर पे अपने,
टुकड़े लपेट कर।
तुम भूल जाना
मुझे याद है सब।
क्या बिगड़ेगा और
जब बर्बाद है सब।
इल्जाम तो नहीं पर
शिकायत है तुमसे।
की कहने को लेनी
इजाजत है तुमसे।
बोलो क्या मुझ पर
ये एहसान करोगे,
मुझे दिल की बाते
कहने तो दोगे।
© lekhan