...

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पिता का साया

तोरे साये को , तोरे प्यार को
तरस गई , भर आई आखीया मोरी
मोरा बचपन जो बिता तोरे अंगना
फिर आज याद आ गया मोहे
औ मोरे बाबा रे
काहे भेज दिया बिदेस रे मोहे
मोरे मन्न की पीर का जाने
मोरे असूअन न दिखे तोहे बाबा रे
काहे भेज दिया बिदेस मोहे
संग तोरे बहूत घूमे मेले
तोरी उंगली पकड़ कर
बहुत लगाये बाजार के घेरे
काहे भेज दिया बिदेस रे मोहे
तोरे लाये गूडे- गुडिया
वो खेल - खिलोने
संदूक में आज भी है मोरे
काहे भेज दिया बिदेस रे मोहे
तोरे सीरे से लग कर बहुत रोयें
तोरे से मिलन जाने कब होये
जुदाई तोरी मोसे न सही जाये
बुला ले अब तो वापस देस रे मोहे
औ मोरे बाबा रे
काहे भेज दिया बिदेस रे मोहे ।
( chandny) sangeeta
12/ 6/2022
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