सुविचार।
मैं पेड़ सी हूं पनप जाउंगी
कहीं भी,कभी भी
मुझे फर्क नहीं पड़ता, धूप से कभी
कई बनावटी, भ्रमित मौसमी विचार
मैं स्वतंत्र प्रकृति, उन्मुक्त...
कहीं भी,कभी भी
मुझे फर्क नहीं पड़ता, धूप से कभी
कई बनावटी, भ्रमित मौसमी विचार
मैं स्वतंत्र प्रकृति, उन्मुक्त...