...

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सांझ का साथ
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम्हे इंतजार है किसका
साथ देगा वो तुम ही तुम हो जिसका
तुम ही दिया तुम ही बाती
राह अनेक लोग अनेकानेक
पर पथ प्रदर्शक तुम हीं एक
रात भर का अंधकार छलावा है
सुबह का सूरज नवगीत लाता है
आज फिर सांझ को निमंत्रण मिला है
दोपहर फिर कल के लिए निकला है।