...

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जंजीर
#जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
उस संकरे से रास्ते पर

रीतियां मैं मानता हूं
रिवाज भी पहचानता हूं
पर थोपी हुई पहचान के
जंजीर को मैं तोड़ता हूं

हूं मैं खड़ा उस मोड़ पर
अंतिम पहर के छोर पर
जहां गिद्ध बैठे साख पर
मेरे फैसले के ताक पर
कि अब हटु मैं लीक से
कि आयें वे मंथन करें
पर रीतियां जो हैं सही
वो बेड़ियाँ हर-गीज नहीं

पर जो बने न्यायधीश हैं
खुद के नियम के ईश हैं
इन भिक्षुओं को छोड़ कर
मैं हूँ खड़ा बिल्कुल अटल
जंजीर जंगी तोड़ कर....

रुख हवा का मोड़ कर
चल रहें हैं देखो हम
उस संकरे से रास्ते पर



© moonlightZ