Mazdoor hai par majboori nhi
जिन मजदुर से तू घृणा करता है.
जिनके पास होना भी तुझे पसंद नही.
जिनकी मजबूरी तू नही समझता.
जब वही मजदुर घर बैठ जाये न.
तो तेरी औकात घर होते हुए भी गरीब जैसे होगी.
तब उनका छोटा सा आँगन भी उनके लिए महल रहेगा.
जब वो मजदूर तेरी इंडस्ट्री को इतना प्रॉफिट दिला सकता है.
तो सोच खुद के दम पे क्या कुछ कर लेंगे....
जिनके पास होना भी तुझे पसंद नही.
जिनकी मजबूरी तू नही समझता.
जब वही मजदुर घर बैठ जाये न.
तो तेरी औकात घर होते हुए भी गरीब जैसे होगी.
तब उनका छोटा सा आँगन भी उनके लिए महल रहेगा.
जब वो मजदूर तेरी इंडस्ट्री को इतना प्रॉफिट दिला सकता है.
तो सोच खुद के दम पे क्या कुछ कर लेंगे....