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इश्क़ के बाद
अब और अश्क़ बहाया नही जाता,
आँखों को नम बनाया नही जाता।
तन्हाई की दहशत है ज़ोरों पर,
दामन फुरकत से बचाया नही जाता।
कहीं मर न जाएं उन्ही की याद में,
मन को और समझाया नही जाता।
कुछ यादें सालों पुरानी दर्द देती हैं,
नया क़िस्सा कोई बनाया नही जाता।
वो जिसपे कभी हक़ था मेरा दोस्तों,
किसी हक से उसे बुलाया नही जाता।
उसे पा लेता तो सुकून में रहता मैं,
उस बिन पलभी बिताया नही जाता।
© All Rights Reserved
आँखों को नम बनाया नही जाता।
तन्हाई की दहशत है ज़ोरों पर,
दामन फुरकत से बचाया नही जाता।
कहीं मर न जाएं उन्ही की याद में,
मन को और समझाया नही जाता।
कुछ यादें सालों पुरानी दर्द देती हैं,
नया क़िस्सा कोई बनाया नही जाता।
वो जिसपे कभी हक़ था मेरा दोस्तों,
किसी हक से उसे बुलाया नही जाता।
उसे पा लेता तो सुकून में रहता मैं,
उस बिन पलभी बिताया नही जाता।
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