सागर।।
बूंदे नही मुझे समन्दर से लड़ना हैं।
आंखो मे रख कर गर्मी मुझे आग सा जलना है।
बना कर आंधी अपने सोच कि।
दिन को छोर कर मुझे शामो मे ढलना है।
काजल से काली रात पे। मुझे शौर्य सा चमकना है।
बिना बताएं सपनो को अपनी।
बारिशों...
आंखो मे रख कर गर्मी मुझे आग सा जलना है।
बना कर आंधी अपने सोच कि।
दिन को छोर कर मुझे शामो मे ढलना है।
काजल से काली रात पे। मुझे शौर्य सा चमकना है।
बिना बताएं सपनो को अपनी।
बारिशों...