...

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तन्हाई अपना हम साया है इसे दूर भागना मत-
क़ैद कर लिया है ख़ुद को तन्हाई में
क्या लेना है मुझको तेरी ख़ुदाई में
तू अपनी ग़ज़लों में मुझको गाती रह
मैं भी जी लेता हूँ हवा हवाई में

मैं गुम्फित ख़्वाबों में रोज भटकता हूँ
नशा बन चुके ग़म के घूँट गटकता हूँ
अक्सर अपनी परछाईं से डरकर मैं
घबराकर ख़ुद से ही दूर सटकता हूँ

किससे लड़ना और झगड़ना कितना अब
कठिन पहेली नित सुलझाया करता हूँ
नीबू सा ख़्वाबों को निचोड़ा फेंक दिया
दर्द की दरिया में ही नहाया करता हूँ

ख़ामोशी से रोया याद सताई जब
आँखों ने अश्क़ों की झड़ी लगाई है
कभी देखता दूर जा रही तुम मुझसे
कभी सामने देख मुझे मुस्काई है

ख़्वाबों में खोने दो मुझे जगाना मत
ग़म अपना हमसाया दूर भगाना मत
रास आ गई मुझको अपनी तन्हाई
उजड़ चुकी दिल की बगिया में आना मत..
© @mishravishal