...

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कभी ना पाया
मेंने जो भी किया वोह कभी ना पाया....
साथ छोड़ा सबने ना छोड़ा जिसने था वो सिर्फ एक मेरा साया ...
शब्द है जो मेरे हमेशा बाहर आए बन के बारिश की बूंद .....

कोई निचोड़ कर तो देखे ...
हूं में भीतर एक उबलता हुआ सागर

इससे ज्यादा ना लिखूंगी मैं और ना पढ़ पाओगे .... तुम ।


© riddle