...

5 views

इंसान हूंँ इंसान से मैं प्यार करता हूँ
है यही अपराध तो अपराध करता हूंँ
इंसान हूंँ इंसान से मैं प्यार करता हूँ
कर नहीं सकता मैं बातें दोगली यारों
'सच' को 'सच' ही बोलना स्वीकार करता हूँ

झूठ, आडंबर के पीछे भागती दुनियां
बेतुकी झूठी प्रसंशा चाहती दुनियां
पर न मैं ऐसी प्रसंशा का हूंँ अभिलाषी
न कभी मैं झूठ का व्यापार करता हूंँ
है यही अपराध तो अपराध करता हूंँ
इंसान हूंँ इंसान से मैं प्यार करता हूँ

सत्य-मर्दन हो रहा हो,देख मैं सकता नहीं
दृश्य ऐसा देखकर मैं मौन रह सकता नहीं
है मुखर व्यक्तित्व मेरा बोलना सच है असूल
चूक जाऊं मैं असूलों से,नहीं मुझको कबूल
झूठ की चिकनी सतह पर वार करता हूंँ
है यही अपराध तो अपराध करता हूंँ
इंसान हूंँ इंसान से मैं प्यार करता हूँ

स्वार्थ में जीती है दुनियां,स्वार्थ के सानी सभी
दूसरों की करने वाले हैं कहां चिंता कोई
दूसरों का हक अगर खाना ही है जीवन यदि
तो बता दूं चाहिए ऐसा मुझे जीवन नहीं
स्वप्न औरों का भी मैं साकार करता हूँ
इंसान हूंँ इंसान से मैं प्यार करता हूँ

काम ऐसा ही सदा करता रहूंगा मैं
इंसानियत के वास्ते लड़ता रहूंगा मैं
हक कोई मारे किसी का मैं न सहूंगा
देख अत्याचार, मौन मैं न रहूँगा
ले शपथ भगवान की इस बार कहता हूँ
इंसान हूंँ इंसान से मैं प्यार करता हूँ

है यही अपराध तो अपराध करता हूंँ
इंसान हूंँ इंसान से मैं प्यार करता हूँ

© Kaushal