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तेरी तस्वीर
जिस लहज़े में तेरी तस्वीरें बोलती हैं।मेरे लफ्ज़ों को फिर सिहरन होने लगती हैं।ये खाली अक्स तेरी यादें भी भर नही पाती कभी।जिंदगी तू साथ क्यों नहीं रह पाई सांसों की तरह मेरी,ये आईना मुझे सवाल करता हैं,मेरी खामोशी पर मलाल करता हैं,मेरे कैद लफ्ज़ों को कभी तो आजाद करो,एक दिन ही सही मेरे जीवन में रंग भरो।लौट आओ न उस जहां से फिर से मुझे पहले जैसा करो।तेरी तस्वीरें बोलती हैं तुम पहले जैसा मुस्कुराया करो।शावि
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