Dua
लाख खुशियां मिलें पर ग़मो की,आदत रखना
ख़्वाहिशों की सिर्फ़ अल्लाह से चाहत रखना
एक रंग से ना सजाना, दरबार-ए-गुलिस्ता को
बेहतर है कि कई रंगो की मिलावट रखना
आ सकूँ काम मैं दर्द मंदो कि ज़रूरत पर
ऐ ख़ुदा इतनी तो मुझ पर इनायत रखना
हसरतें ज़िन्दगी मे रखना तो कुछ यूँ रखना
हो किरदार आईना, लहजे में नदामत रखना
कोई उदास ना हो महफ़िल मे तेरी "शाइस्ता"
हर एक के एहतिराम की हिफाज़त रखना
ख़्वाहिशों की सिर्फ़ अल्लाह से चाहत रखना
एक रंग से ना सजाना, दरबार-ए-गुलिस्ता को
बेहतर है कि कई रंगो की मिलावट रखना
आ सकूँ काम मैं दर्द मंदो कि ज़रूरत पर
ऐ ख़ुदा इतनी तो मुझ पर इनायत रखना
हसरतें ज़िन्दगी मे रखना तो कुछ यूँ रखना
हो किरदार आईना, लहजे में नदामत रखना
कोई उदास ना हो महफ़िल मे तेरी "शाइस्ता"
हर एक के एहतिराम की हिफाज़त रखना