एक पिता
क्या कहूँ कि पिता क्या होता हैं
एक बच्चे का गुरुर होता हैं,
हसँता बहुत जोर से हैं
जब भी बच्चा खुश होता हैं,
रोता भी अन्दर से उतना ही हैं
जितना के दिल से खुश होता हैं,
हर डाँट में जिसकी एक नई सीख होती हैं
ऐसा तो बस एक पिता ही होता हैं,
कभी जताता नही कि कितनी परवाह करता हैं
तभी तो सबसे जिम्मेदार भी एक पिता ही होता हैं,
आंचल अगर मां होती हैं तो
पिता हमेशा एक ढाल होता हैं,
सर फक्र से ऊँचा तब होता हैं
कामयाब जब उसका बच्चा होता हैं,
और रहे कठिनाइयों की सर्द धूप कितनी ही
हर परिस्थिति में जल का अभिरूप होता हैं,
कितना कोमल कितना सहज होता हैं
तभी तो हर बच्चा अपने पिता का प्रतिरूप होता हैं,
क्या कहूँ कि पिता क्या होता हैं.........
एक बच्चे का गुरुर होता हैं,
हसँता बहुत जोर से हैं
जब भी बच्चा खुश होता हैं,
रोता भी अन्दर से उतना ही हैं
जितना के दिल से खुश होता हैं,
हर डाँट में जिसकी एक नई सीख होती हैं
ऐसा तो बस एक पिता ही होता हैं,
कभी जताता नही कि कितनी परवाह करता हैं
तभी तो सबसे जिम्मेदार भी एक पिता ही होता हैं,
आंचल अगर मां होती हैं तो
पिता हमेशा एक ढाल होता हैं,
सर फक्र से ऊँचा तब होता हैं
कामयाब जब उसका बच्चा होता हैं,
और रहे कठिनाइयों की सर्द धूप कितनी ही
हर परिस्थिति में जल का अभिरूप होता हैं,
कितना कोमल कितना सहज होता हैं
तभी तो हर बच्चा अपने पिता का प्रतिरूप होता हैं,
क्या कहूँ कि पिता क्या होता हैं.........