क़हर ढा रही हो।
तस्व्वुर में आ रही हो,
मेरे जी को बहला रही हो,
बदला बदला सा है मिज़ाज मेरा,
लगता है पसंद आ रही हो।
भाव बढ़ गए हैं,
नख़रे दिखा रही हो,
क्यूं लगता है मुझे छोड़कर
कहीं और जा रही हो ?
इश्क़ का मौसम...
मेरे जी को बहला रही हो,
बदला बदला सा है मिज़ाज मेरा,
लगता है पसंद आ रही हो।
भाव बढ़ गए हैं,
नख़रे दिखा रही हो,
क्यूं लगता है मुझे छोड़कर
कहीं और जा रही हो ?
इश्क़ का मौसम...