...

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तन्हाई
सब साथ है फिर भी तन्हा पड़ जाती हूं,
मैं भीड़ के शोर में कही दब सी जाती हूं,
बहुत मर्तबा खुद को दुनिया के रंग में ढाल कर देखा है,
हर बार उस रंग में बेरंग नज़र आती हूं,
कुछ लोगों को अपना कहा था तो कुछ साथ चले थे,
इन...