वक्त
मुस्कुराते हुए रो देते हैं,
केसे ये हसीन फसाना होगया,
हम तो तलाश में हैं आज भी उनकी यादों की ,
और उनको हमें भूले जमाना होगया।
अकेले खुदको संभालती थी ,
अपनी मौजूदगी क्यों अहसास करा गए,
थोड़ी खुदा से खुशियां मांगी थी,
आप तो आसुंओ की बरसात करा...
केसे ये हसीन फसाना होगया,
हम तो तलाश में हैं आज भी उनकी यादों की ,
और उनको हमें भूले जमाना होगया।
अकेले खुदको संभालती थी ,
अपनी मौजूदगी क्यों अहसास करा गए,
थोड़ी खुदा से खुशियां मांगी थी,
आप तो आसुंओ की बरसात करा...