वहां दो पत्थर थे
जब दंगे में कोइ पीटता होगा,
जब लठ लगती होगी सिर पर,
खून से लथपथ, बेहोश, जब भू पर वो गिरता होगा,...
वो, खामोश होगा।
मगर, उसके जिस्म से बहता ख़ून;
वो जब आहिस्ते से, धीमे से आगे बढ़ता होगा,
रास्ते के और पत्थरों से जब टकराता होगा,
....तब वो क्या कहता होगा-
गिड़गिड़ाता होगा, मदद की गुहार करता होगा ?
या, मुस्कुरा कर आगे बेह जाता होगा ?
© पराजित
जब लठ लगती होगी सिर पर,
खून से लथपथ, बेहोश, जब भू पर वो गिरता होगा,...
वो, खामोश होगा।
मगर, उसके जिस्म से बहता ख़ून;
वो जब आहिस्ते से, धीमे से आगे बढ़ता होगा,
रास्ते के और पत्थरों से जब टकराता होगा,
....तब वो क्या कहता होगा-
गिड़गिड़ाता होगा, मदद की गुहार करता होगा ?
या, मुस्कुरा कर आगे बेह जाता होगा ?
© पराजित