परिचय
समय की दौड़ भाग में, ख़ुद से ही बैगाना हो गया,
हम सीख न सके फरेब, यह दिल बच्चा ही रह गया !!
ख़ुद की ही तलाश में, तजुर्बा अपना कच्चा ही रह गया,
तस्वीरों की इस महफ़िल में, अपना ही चहरा पुराना हो गया !!
लहज़ा समझ में आता है अब, मुझे हर किसी का साहब,
बस उन्हें शर्मिंदा करना, मेरे मिजाज़ में शामिल...
हम सीख न सके फरेब, यह दिल बच्चा ही रह गया !!
ख़ुद की ही तलाश में, तजुर्बा अपना कच्चा ही रह गया,
तस्वीरों की इस महफ़िल में, अपना ही चहरा पुराना हो गया !!
लहज़ा समझ में आता है अब, मुझे हर किसी का साहब,
बस उन्हें शर्मिंदा करना, मेरे मिजाज़ में शामिल...