...

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रंगभूमि (प्रथम चरण)
फूल नहीं खिलते केवल उपवन में,
कई खिलते है जंगल और बीच सड़क में।
जब तक रहते जुड़े अपने शरीर से,
तब तक बहार बिखराते है,
कुछ कट धूल मिल जाते, तो कुछ भगवान अर्पित हो, सम्मान बढ़ाते।

इन फूलों का क्या, ना बोल,ना विरोध कर पाते
इंसान के हातो खुद बली चढ़ जाते।
पर इंसान तो बोल सकता है,
खुद का भाग्य खुद लिख सकता है ।

ऎसा ही कार्य किया था, इस वीर ने
जिसकी कथा अमर है मेरे मन में ।


stay tuned....... for entry of Karna