...

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मजबूर हूँ
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
एकांत मैं जीना प्रिय मुझे ,
पर अब लड़ना तो मजबूरी है ,
क्रूर ये जग और अब क्रूर हूँ मै,
यू बदलता ना मैं...