सिफ़र
सुन रे बंदे!
सुन ले ज़रा ये आवाज़,
और लगा ले अपना ध्यान।
फरेब के जंगल में कुचले जाते,
हाड़-मांस के पुतले की एक पुकार,
शायद जिसे तुम कहते हो,
एक इंसान।
"ख़ुद की नज़रों में भी
गिरने की जगह ना मिले जिसे,
उसे और कितना गिरा पाओगे?
जिसने दफ़न...
सुन ले ज़रा ये आवाज़,
और लगा ले अपना ध्यान।
फरेब के जंगल में कुचले जाते,
हाड़-मांस के पुतले की एक पुकार,
शायद जिसे तुम कहते हो,
एक इंसान।
"ख़ुद की नज़रों में भी
गिरने की जगह ना मिले जिसे,
उसे और कितना गिरा पाओगे?
जिसने दफ़न...