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बेवफ़ाई की सजा
कुछ भी करने लिए, होंगें तुम्हारे पास जरुर फ़ुरसत,
पर इतराने खातिर, कोई वजह न बाकी होगी तुममें।
कुछ कहने लिए भी, होंगें दिलमें तुम्हारे बड़ी हसरत,
पर हक जताने खातिर, कोई मोहब्बत न बाकी होगी हममें।।

तुम्हारी ही नजरियों से, हर छलावे को तुम्हारे हमने सच्चा माना था,
देर ही सही उन बेवफ़ाईयों को जान... हमने तुम्हारी असलियत पहचाना था ।
अपना कहने से पहले, अपना हमराज़ ही हमें थोड़ा बना लिया होता,
जो वाकेयात अबतक हुआ है, शायद इतना गम कभी न दिया होता।।

कुछ भी करने लिए,...