...

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रू ब रू
कभी आकर मिलो तो दिल की तन्हाई ना हों
ए खुदा ज़माने में किसी की ऐसी जुदाई ना हो

सब्र छूटा दिल ये टूटा कही ये उसकी बेवफाई ना हो
है मेरा वो मेहबूब उसकी कभी जगहसाई ना हो

कैसा खुदा तू गर तेरे करतब में करिश्माई ना हों
वस्ल की कोई करतूत नहीं जिसे मैने आज़माई ना हो

कोई ऐसी शब नहीं जिसे सपनों से मैने सज़ाई ना हों
ना कोई भी बात ऐसी जो मैने उसे कभी बताई ना हों

मिले वो जब भी कभी फ़िर कभी कोई रुसवाई ना हों
यक़ीन बना रहे तुझ पे खुदा साबित ना कमतर तेरी खुदाई हो

ख़्वाब जो टूटा रु ब रू होने का कैसे भला इसकी भरपाई हो
कहर सा बरपा है मुझ पे जैसे रूत क़यामत की कोई आई हो
© V K Jain