**साहित्य की चोरी**
साहित्य की चोरी प्राचीन काल से ही गंभीर अपराधों में सामिल है।
फिर भी ये एक आम बात है कि हर युग में साहित्य की चोरी होती हैं।
किसी की भावनाओं की, किसी की जज्बातों की चोरी आत्म ग्लानि से भर देता है।
किसी प्रसिद्ध कवि की कविता की कुछ पंक्तियों की चोरी,
किसी की जज्बाती शब्दों की चोरी,करता है हर कोई थोड़ी थोड़ी।
बिन चोरी ना हुई किसी कवि की कोई कविता कभी पूरी।
उगते सूरज की हुई लालिमा चोरी,
डूबते सूरज...
फिर भी ये एक आम बात है कि हर युग में साहित्य की चोरी होती हैं।
किसी की भावनाओं की, किसी की जज्बातों की चोरी आत्म ग्लानि से भर देता है।
किसी प्रसिद्ध कवि की कविता की कुछ पंक्तियों की चोरी,
किसी की जज्बाती शब्दों की चोरी,करता है हर कोई थोड़ी थोड़ी।
बिन चोरी ना हुई किसी कवि की कोई कविता कभी पूरी।
उगते सूरज की हुई लालिमा चोरी,
डूबते सूरज...