...

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चाय
है मुझे नशा
हो गई है तेरी आदत ,
आंखें नहीं खुलती
जब तक तुझे सामने ना पा लूं
बन गया है तू मेरे सुख- दुख का साथी ,
मेरी सोच का सहभागी
हां करती हूं कुबूल और
खाती हूं तेरी तलब की कसम ,
कि जब तक तू मुझे मिल नहीं जाता
दिल मानो बेचैन ,
और दिमाग बंद सा पड़ जाता है ,
और हां दुनिया की नजरों में तू सिर्फ चाय होगा ,
पर मैं तो तुझे अपना साथी मानती हूं ।

Smriti Trivedy
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