...

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सचेत हो जाएँ..
कांपते हाथ
लड़खड़ाते कदम
बूढ़ी आँख़ें
और चेहरे की इन
झुर्रियों की कसम

मात पिता को
रुलाकर
तरसाकर
तड़पाकर
क्या निकलता नहीं
ऐसी संतानों का दम??

घुटते हैं
पिसते हैं
घसीटते हैं
ख़ुद को,
लाचारी में
आहें...