ग़ज़ल...
वो ख़ुदा जानता है, हमने कुछ नहीं चाहा, एक तेरे बाद
अब मर्ज़ी है तेरी, हमें चाहे कर आबाद, चाहे कर बर्बाद
तुमसे बेपनाह मोहब्बत का, सिला यह मिला है मुझको
अब पास मेरे, तनहाई है, रुसवाई है, और तुम्हारी याद
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अब मर्ज़ी है तेरी, हमें चाहे कर आबाद, चाहे कर बर्बाद
तुमसे बेपनाह मोहब्बत का, सिला यह मिला है मुझको
अब पास मेरे, तनहाई है, रुसवाई है, और तुम्हारी याद
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