...

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प्रतिक्षा

स्थिर तन चंचल मन,
अडिग प्रतिक्षा की लगन;
शम्भू जैसे पाने को गौरा संग,
गौरा जैसे करतीं प्रतिक्षा क्षण - क्षण,

इंतजार का हर एक क्षण ,
बिन उसके कैसा होता ,
जला हो जो कभी इस ज्वाला में ,
मन उसका ही है रोता,
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