...

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मानव पर महिमाओं की बरसात
देखो महिमा कुर्सी की,
अरे भाई! समझो
महिमा कुर्सी की। जो-
मूक को भी वाचाल बना दे,
उजड़े चमन को, पुष्पों से महका दे।
देखो महिमा कुर्सी की।
भजो - महिमा कुर्सी की।

देखो महिमा वाणी की,
अरे भाई! समझो
महिमा वाणी की। जो -
सुशब्द एवं मीठी हो तो,
मन को आनंदित एवं शीतलता दे।
इसके विपरीत अगर
अपशब्द हो तो, भूचाल ला दे।
रिश्तो में खटास ला दे।

देखो महिमा मां के प्रेम की,
अरे भाई! समझो
महिमा मां के प्रेम की। जो-
अगर अपने आंचल में छिपा ले-
तो अनुभव होता जन्नत का।

देखो महिमा पिता की प्रेम की,
अरे भाई! समझो
महिमा पिता के प्रेम की। जो-
शिशु का होता भाग्य निर्माता।
सदा प्रयासरत रहता, कि उसका शिशु,
जीवन के हर पद पर उससे दो कदम आगे ही हो।

देखो महिमा लक्ष्मी की,
अरे भाई! समझो
महिमा मां लक्ष्मी की। जो-
अगर किसी पर खुश हो जाए,
तो उस पर हो जाती ऐश्वर्य की बरसात,
होती उसकी पांचो उंगलियां घी में।
देखो महिमा देवी लक्ष्मी की।
डॉ अनिता।