...

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आज़ादी की कीमत
चलो लिखते हैं कहानी जो मिटेगी नहीं,
वो कुर्बानियां जो गूंजेंगी, रुकेगी नहीं।
ये वो जज़्बा है जो सीने में जलता है,
जो खून में बहता है, हौसला कहता है।

हम भी घर में रह सकते थे चैन से,
माँ-बाप ने पाला दर्द सहते हर एक सें।
पर वक्ते-रुख्सत उनकी आँखें भीगी थीं,
आँसुओं के साए में उनकी हिम्मत ली थी।
गोद में गिरते थे अश्क उनकी रुख से,
फिर भी खड़े रहे हम फौलाद बनके।
उनका तिफ्ल समझो, ये दिल बहलाने को,
पर दिल में दर्द था, सिर्फ माँ का मुस्काने को।

सरफरोशी की राह पे हम चलते हैं,
जख्म खाके भी हम सब सहते हैं।
कौम की मिट्टी पे जान रखते हैं,
खुश रहो अहले-वतन, ये सफर करते हैं।

किस्मत ने हमको सितम की राह दी,
रंज, मेहन, ग़म की एक किताब दी।
परवाह किसी को नहीं, दम किसमें था,...