...

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जिंदगी
कितने ही शब्द
कितने बार निःशब्द
सा रह जाता है
और उसे हम याद
जिंदगी भर करते रह जाते हैं
जिसे चाह कर हम भुला नही पाते है
ताउम्र भर के लिय
सुकून